नहि इस्लाम , न ख्रिश्चन दिखता ,
नहि हिंदुत्व लिया है ।
तेरी तारीफ क्या है ?
बोल , बोल , बोल ॥टेक ॥
सच्चा जो इस्लाम रहेगा ,
नेक पाक रहता है ।
ख्रिश्चन भी ' बैबल ' को पढकर , '
प्रभु येशू ' जपता है ।
हिन्दु तो हर जड - चेतन में ,
कहता ' राम - सिया ' है
तेरी तारीफ क्या है ? ॥ १ ॥
लिखा - पढा तो दिखता ,
फिरमी धर्म - वर्म नहिं जाना ।
हर रास्ते में सीटि बजाकर ,
कहता ' चलो सिनेमा ' । '
जो मिलता सब खावो '
कहता ' खूब शराब पिया है
तेरी तारीफ क्या है ? ॥ २ ॥
मुंह धोने से पहले पीता चाय ,
तम्बाकू खाता ।
निंदा हरदम करते रहता ,
बकता लम्बी बाता ।
सट्टा माँग साधु सन्त से ,
सिर ना नम्र किया है
तेरी तारीफ क्या है ? ॥३ ॥
जरा - जरासी बात पे चोढे ,
खून खराबी करता |
बन्दर जैसा रहता तू और
न्याय नीति ठुकराता |
तुकड्यादास कहे तेरी सूरत ,
किसने बहकाया है ?
तेरी तारीफ क्या है ? ॥४ ॥
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